वक़्फ़ बिल (Waqf Bill) क्या है?

वक़्फ़ एक इस्लामिक प्रथा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को धार्मिक या सामाजिक कल्याण के लिए स्थायी रूप से दान कर देता है। यह संपत्ति वक़्फ़ बोर्ड द्वारा प्रबंधित की जाती है और इसे बेचा या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। वक़्फ़ संपत्तियाँ आमतौर पर मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, अनाथालय और अन्य धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती हैं।
वक़्फ़ अधिनियम (Waqf Act) का उद्देश्य
भारत में Waqf Act, 1995 लागू है, जिसे बाद में कई बार संशोधित किया गया। इस कानून के तहत:
- वक़्फ़ बोर्ड की स्थापना: प्रत्येक राज्य में राज्य वक़्फ़ बोर्ड गठित किया जाता है, जो वक़्फ़ संपत्तियों की देखरेख करता है।
- केंद्रीय वक़्फ़ परिषद (Central Waqf Council): यह भारत सरकार के अंतर्गत काम करती है और वक़्फ़ बोर्डों को मार्गदर्शन देती है।
- वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा: कोई भी वक़्फ़ संपत्ति सरकार की अनुमति के बिना बेची या हस्तांतरित नहीं की जा सकती।
- विवाद समाधान: वक़्फ़ संपत्तियों से जुड़े विवादों को हल करने के लिए विशेष वक़्फ़ ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं।
वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2024 क्या है?
भारत सरकार ने 2024 में वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक पेश किया, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं:
- सरकार का नियंत्रण बढ़ेगा: पहले वक़्फ़ बोर्ड खुद ही संपत्तियों के स्वामित्व का फैसला करते थे, लेकिन नए कानून के तहत अब सरकार को यह अधिकार मिलेगा।
- ग़ैर–मुस्लिम सदस्य भी वक़्फ़ बोर्ड में होंगे: इससे पारदर्शिता बढ़ाने का तर्क दिया गया है।
- ‘वक़्फ़ बाय यूज़र’ (Waqf by User) की समाप्ति: पहले अगर कोई संपत्ति लंबे समय तक इस्लामी धार्मिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होती थी, तो उसे वक़्फ़ घोषित किया जा सकता था। अब इस प्रथा को समाप्त किया जा रहा है।
- मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व: अब वक़्फ़ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा।
भारत में वक़्फ़ संपत्तियाँ कहाँ–कहाँ हैं और कितनी हैं?
- भारत में 6 लाख से अधिक वक़्फ़ संपत्तियाँ हैं, जिनकी अनुमानित कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये है।
- ये संपत्तियाँ पूरे भारत में फैली हुई हैं, खासकर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में बड़ी संख्या में हैं।
- इनमें मस्जिदें, मदरसे, कब्रिस्तान, अस्पताल, धर्मार्थ संस्थान, और कृषि भूमि शामिल हैं।
नया वक़्फ़ विधेयक विवादों में क्यों है?
- विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का आरोप: यह विधेयक वक़्फ़ बोर्ड की स्वायत्तता (Autonomy) खत्म कर सकता है और सरकार को अनावश्यक अधिकार दे सकता है।
- सरकार का पक्ष: इससे भ्रष्टाचार कम होगा और वक़्फ़ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा।
वक़्फ़ बिल विवादों में क्यों है?
वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर राजनीतिक दलों, मुस्लिम संगठनों और धार्मिक समूहों में काफी विवाद है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह बिल वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन और स्वामित्व से जुड़े कई महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव करता है, जो कुछ लोगों को अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों में दखल की तरह लग रहा है।
विवाद के मुख्य कारण:
- सरकार का बढ़ता नियंत्रण
- पहले वक़्फ़ बोर्ड को अधिकार था कि वह वक़्फ़ संपत्तियों का स्वामित्व तय कर सकता था।
- नए बिल के तहत सरकार को यह अधिकार मिल जाएगा कि वह तय करे कि कोई संपत्ति वक़्फ़ है या नहीं।
- इससे मुस्लिम संगठनों को डर है कि सरकार वक़्फ़ संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेकर उसे गैर–धार्मिक कार्यों के लिए इस्तेमाल कर सकती है।
- ‘वक़्फ़ बाय यूज़र’ का खात्मा
- पहले, अगर कोई जमीन लंबे समय तक धार्मिक गतिविधियों (मस्जिद, कब्रिस्तान, दरगाह आदि) के लिए उपयोग होती थी, तो उसे वक़्फ़ संपत्ति घोषित किया जा सकता था।
- अब इस प्रथा को खत्म किया जा रहा है, जिससे मुस्लिम समुदाय को डर है कि कई मस्जिदों और कब्रिस्तानों की जमीन का वक़्फ़ दर्जा छिन सकता है।
- ग़ैर-मुस्लिम सदस्यों को वक़्फ़ बोर्ड में शामिल करना
- सरकार कह रही है कि इससे पारदर्शिता आएगी, लेकिन मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह वक़्फ़ संपत्तियों पर बाहरी हस्तक्षेप को बढ़ावा देगा।
- कई धार्मिक नेताओं ने कहा कि मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों के मामलों में ग़ैर–मुस्लिमों की भागीदारी अनुचित है।
- वक़्फ़ बोर्ड की स्वायत्तता पर खतरा
- वक़्फ़ बोर्ड अब तक स्वतंत्र रूप से संपत्तियों का प्रबंधन करते थे, लेकिन अब सरकार इसमें सीधे दखल दे सकती है।
- इससे विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों को लगता है कि सरकार अल्पसंख्यक संपत्तियों पर नियंत्रण बढ़ा रही है।
- राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
- विपक्षी दलों (जैसे कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, एआईएमआईएम) का आरोप है कि सरकार मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों को कमजोर करना चाहती है।
- सरकार का तर्क है कि इससे भ्रष्टाचार कम होगा और वक़्फ़ संपत्तियों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।
कौन विरोध कर रहा है?
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस विधेयक को मुस्लिम संपत्तियों पर अतिक्रमण करने वाला बताया।
- राजनीतिक दलों (कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके) ने इसे मुसलमानों के अधिकारों पर हमला बताया।
- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इसे पूरी तरह से वापस लेने की मांग की है।
- एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह मुसलमानों की संपत्तियों को कमजोर करने की साजिश है।
सरकार का बचाव क्या है?
- सरकार ने कहा कि यह बिल पारदर्शिता और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लाया गया है।
- मुस्लिम महिलाओं को वक़्फ़ बोर्ड में प्रतिनिधित्व देने की बात भी की गई है।
- सरकार ने आश्वासन दिया कि मस्जिदों, कब्रिस्तानों और अन्य धार्मिक स्थलों को कोई नुकसान नहीं होगा।